Ganga Expressway Update : गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण उत्तर प्रदेश सरकार की एक बड़ी पहल है, जिसका उद्देश्य दिल्ली और पूर्वी उत्तर प्रदेश के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना है। अब इस एक्सप्रेसवे को हरिद्वार तक बढ़ाने की योजना ने न केवल धार्मिक यात्रा करने वालों के लिए, बल्कि व्यापार और पर्यटन के लिए भी नए अवसर खोले हैं। आइए जानते हैं कि यह एक्सप्रेसवे किन जिलों से होकर गुजरेगा और इसके बनने से लोगों को क्या लाभ होगा।
गंगा एक्सप्रेसवे की मुख्य बातें
- कुल लंबाई: 594 किलोमीटर
- शुरुआत: मेरठ से
- अंतिम पड़ाव: हरिद्वार (विस्तार के बाद)
- निर्माण लागत: लगभग ₹36,230 करोड़
- प्रमुख जिले: मेरठ, बुलंदशहर, अमरोहा, शाहजहांपुर, प्रयागराज आदि
किन-किन जिलों से गुजरेगा गंगा एक्सप्रेसवे?
गंगा एक्सप्रेसवे कई जिलों से गुजरते हुए उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों और कस्बों को जोड़ेगा। हरिद्वार तक विस्तार होने के बाद यह और भी ज्यादा उपयोगी हो जाएगा।
जिले जिनसे एक्सप्रेसवे गुजरेगा:
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- मेरठ
- हापुड़
- बुलंदशहर
- अमरोहा
- संभल
- बदायूं
- शाहजहांपुर
- हरदोई
- उन्नाव
- रायबरेली
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- हरिद्वार (विस्तार के बाद)
गंगा एक्सप्रेसवे से क्या होंगे फायदे?
- यात्रा का समय बचेगा:
मेरठ से हरिद्वार तक का सफर अब कई घंटे कम हो जाएगा। जो यात्रा पहले 6-7 घंटे में होती थी, वह अब लगभग 3-4 घंटे में पूरी हो सकेगी। - व्यापार में तेजी:
एक्सप्रेसवे से औद्योगिक क्षेत्रों में माल ढुलाई आसान होगी, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। - धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा:
हरिद्वार तक एक्सप्रेसवे के विस्तार से श्रद्धालुओं के लिए गंगा स्नान और धार्मिक यात्राएं अधिक सुविधाजनक होंगी।
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गंगा एक्सप्रेसवे के रूट पर क्या है खास?
गंगा एक्सप्रेसवे का रूट इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह उत्तर प्रदेश के बड़े और छोटे शहरों को जोड़ सके। इससे ग्रामीण इलाकों में भी विकास के नए द्वार खुलेंगे।
रूट की प्रमुख विशेषताएं:
- चौड़ा और सीधा मार्ग, जिससे वाहन तेजी से चल सकेंगे।
- हर 50 किलोमीटर पर रेस्ट एरिया और पेट्रोल पंप की सुविधा।
- हाईटेक टोल प्लाजा और सुरक्षा के लिए CCTV कैमरे।
लोगों की राय: गंगा एक्सप्रेसवे से उम्मीदें
हमारे रिपोर्टर ने मेरठ और बुलंदशहर के स्थानीय लोगों से बात की, तो उन्होंने खुशी जताते हुए कहा,
“पहले हरिद्वार जाने में पूरा दिन लग जाता था, अब ये सफर आसान हो जाएगा। इससे व्यापार भी बढ़ेगा और नौकरी के नए मौके भी मिलेंगे।”
एक दुकानदार ने कहा,
“गांवों से शहर तक माल पहुंचाने में आसानी होगी। पहले जो खर्चा होता था, अब वो आधा हो जाएगा।”
निर्माण में क्या हैं चुनौतियां?
हालांकि गंगा एक्सप्रेसवे एक बड़ी परियोजना है, लेकिन इसके निर्माण में कई चुनौतियां भी आ रही हैं।
- भूमि अधिग्रहण:
कई जगह किसानों के साथ मुआवजे को लेकर विवाद हो रहे हैं। सरकार इस पर काम कर रही है ताकि सभी पक्ष संतुष्ट हों। - पर्यावरणीय असर:
एक्सप्रेसवे के निर्माण से पर्यावरण पर असर पड़ सकता है। सरकार ने इसके लिए ग्रीन बेल्ट और वृक्षारोपण की योजना बनाई है।
भविष्य की योजनाएं और विस्तार
गंगा एक्सप्रेसवे का विस्तार यहीं नहीं रुकेगा। भविष्य में इसे ऋषिकेश और देहरादून तक ले जाने की भी योजनाएं बनाई जा रही हैं, जिससे पर्यटन और व्यापार दोनों को बढ़ावा मिलेगा।
गंगा एक्सप्रेसवे न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है। इसके निर्माण से यात्रियों, व्यापारियों और आम जनता को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा। हरिद्वार तक इसका विस्तार धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को भी और मजबूत करेगा।